सोमवार, 26 मई 2014

हिम्मत से मिलती जीत




नीरा कपूर-
 कुछ समय पहले की बात है दो मेढक थे। वे जंगल में तालाब के किनारे एक पेड़ के नीचे रहते थे। एक दिन उन दोनों ने सोचा हमने तो बाहर की दुनिया देखी ही नहीं जंगल के बाहर भी तो कुछ होगा। चलो जरा इंसानों की दुनिया में घूम कर आते हैं।
खाने-पीने का थोड़ा-सा सामान लेकर वे दोनों निकल पड़े।
फुदकते-फुदकते वे जंगल की सीमा को पार करके शहर पहुंचे।
वहां उन्होंने बहुत कुछ देखा-बड़ी-बड़ी ऊंची इमारतें प्रदूषण फैलाते हुए वाहन रोटी कमाने की दौड़ में भागते हुए लोग, खेलकूद और पढ़ाई में मस्त नन्हें-नन्हें बच्चे शोर-शोर और बहुत सारा शोर।
उन्हें अपने घर की याद आने लगी। वे बहुत थक भी गए थे।
उनका दिल कर रहा था कि उन्हें पानी मिल जाये और वे एक गीली जगह पर थोड़ा आराम कर लें। खोजते-खोजते वे एक दूध वाले की दुकान में घुस गए। वहां एक बाल्टी रखी थी। उन्हें लगा कि इस बाल्टी में पानी होना चाहिये फिर क्या था झट से दोनों ने एक ऊंची छलांग लगाई और पहुंच गए उस बाल्टी के अन्दर।
पर यह क्या? बाल्टी में तो पानी नहीं था वह तो मलाई से भरी हुई थी।
बेचारे दोनों मेढक उस मलाई में डूबने लगे उनका दम घुटने लगा, सांस फूलने लगी आखें पलट कर बाहर आने लगीं।
एक मेढक ने सोचा मेरा तो अंतिम समय आ गया है, हाय रे मेरी किस्मत! शहर आकर इन अनजान लोगों के बीच ही मरना था। उसने अपने ईश्वर को याद किया और मौत का इन्तजार करने लगा।
परन्तु दूसरा मेढक हार मानने को तैयार नहीं था। वह कोशिश करने लगा कि किसी तरह उस मलाई भरी बाल्टी में से वह बाहर निकल आये।
वह अपने पैर जोर से चलाने लगा। बहुत कोशिश करने पर भी वह बार-बार फिसल जाता। फिर भी उसने अपना दिल छोटा नहीं किया, हिम्मत का दामन नहीं छोड़ा, वह लगातार कोशिश करता रहा और अपने पैर चलाता रहा।
अरे यह क्या!
अचानक उसने देखा कि वह ऊपर उठने लगा।
उसके लगातार जोर से पैर चलाने से मलाई भी लगातार हिल रही थी और वह मक्खन बनने लगी। मेढक में उम्मीद की लहर दौड गई। वह बहुत थक चुका था फिर भी पैर चलाता रहा। फिर क्या था! मक्खन बनता गया और आखिर में उस मक्खन के ढेर पर सवार वह साहसी मेढक ऊपर उठने लगा। जब मक्खन छाछ के ऊपर तैरने लगा तब उस साहसी मेढक ने बाल्टी से बाहर छलांग लगा दी। अपनी हिम्मत लगन मेहनत और जीने की उमंग के कारण वह बच गया परन्तु निराशावादी मेढक उसी मलाई की बाल्टी में डूब कर मर गया।
मुश्किलें सब के रास्ते में आती हैं पर ईश्वर ने हमें उनका मुकाबला करने की शक्ति भी दी है। इसलिये शक्ति से काम लेते हुए साहस बनाए रखना चाहिये। अंत में जीत उसी की होती है जो कभी हार नहीं मानता।अधिक बुद्धि या बल ही केवल काम नहीं आते हैं। हिम्मत वाले जीवन का संग्राम जीत जाते हैं।
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Source – KalpatruExpress News Papper





रोचक जानकारी
तूफान क्यों आते हैं जब नमी से भरी हुई ढेर-सी गर्म हवा तेजी से ऊपर की ओर उठती है तब तूफान आते हैं।
तुमने तूफान की शुरुआत से पहले हवा को तेज होते हुए देखा होगा। जब बादल बड़े होते जाते हैं और गहरे होते हुए आसमान में अंधेरा छाने लगता है। ये तूफान के लक्षण हैं। बादलों के अंदर पानी के कण तेजी से घूमते हैं और आपस में टकराते हैं, जिससे बिजली पैदा होती है। बिजली पैदा होने का काम तब-तक चलता रहता है, जब तक वह बड़ी-सी चिंगारी बन कर एक बादल से दूसरे बादल तक होती हुई धरती तक जोरदार चमक बन कर कौंध नहीं जाती।
बिजली में गरज और चमक एक साथ होती है। चमक पहले दिखाई देती है और गरज बाद में सुनाई देती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि प्रकाश की गति ध्वनि की गति से तेज होती है और चमक हमारे पास तक आवाज से पहले पहुंच जाती है।
बिजली, पानी और तूफान से बचने के लिए किसी ऊंचे पेड़ के नीचे खड़े हो जाना उचित नहीं है, क्यों कि बिजली धरती पर गिरते समय अकसर किसी ऊंचे वृक्ष का सहारा ले लेती है। आसमान से गिरती हुई बिजली हमें नुकसान पहुंचा सकती है।
बिजली चमकते समय जब आकाश में इधरउ धर गुजरती है तो आस-पास की हवा गर्म हो जाती है। यह गर्म हवा तेजी से फैलती है तो गड़गड़ाहट की तेज आवाज सुनाई देती है।
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