नीरा कपूर-
कुछ समय पहले की बात है दो मेढक थे। वे जंगल
में तालाब के किनारे एक पेड़ के नीचे रहते थे। एक दिन उन दोनों ने सोचा हमने तो
बाहर की दुनिया देखी ही नहीं जंगल के बाहर भी तो कुछ होगा। चलो जरा इंसानों की
दुनिया में घूम कर आते हैं।
खाने-पीने का
थोड़ा-सा सामान लेकर वे दोनों निकल पड़े।
फुदकते-फुदकते
वे जंगल की सीमा को पार करके शहर पहुंचे।
वहां उन्होंने
बहुत कुछ देखा-बड़ी-बड़ी ऊंची इमारतें प्रदूषण फैलाते हुए वाहन रोटी कमाने की
दौड़ में भागते हुए लोग, खेलकूद और
पढ़ाई में मस्त नन्हें-नन्हें बच्चे शोर-शोर और बहुत सारा शोर।
उन्हें अपने
घर की याद आने लगी। वे बहुत थक भी गए थे।
उनका दिल कर
रहा था कि उन्हें पानी मिल जाये और वे एक गीली जगह पर थोड़ा आराम कर लें।
खोजते-खोजते वे एक दूध वाले की दुकान में घुस गए। वहां एक बाल्टी रखी थी। उन्हें
लगा कि इस बाल्टी में पानी होना चाहिये फिर क्या था झट से दोनों ने एक ऊंची
छलांग लगाई और पहुंच गए उस बाल्टी के अन्दर।
पर यह क्या? बाल्टी में तो पानी नहीं था वह तो मलाई से
भरी हुई थी।
बेचारे दोनों
मेढक उस मलाई में डूबने लगे उनका दम घुटने लगा, सांस फूलने लगी आखें पलट कर बाहर आने लगीं।
एक मेढक ने सोचा
मेरा तो अंतिम समय आ गया है, हाय रे मेरी किस्मत! शहर आकर इन अनजान लोगों के बीच ही मरना था। उसने अपने
ईश्वर को याद किया और मौत का इन्तजार करने लगा।
परन्तु दूसरा
मेढक हार मानने को तैयार नहीं था। वह कोशिश करने लगा कि किसी तरह उस मलाई भरी
बाल्टी में से वह बाहर निकल आये।
वह अपने पैर
जोर से चलाने लगा। बहुत कोशिश करने पर भी वह बार-बार फिसल जाता। फिर भी उसने
अपना दिल छोटा नहीं किया, हिम्मत का
दामन नहीं छोड़ा, वह लगातार
कोशिश करता रहा और अपने पैर चलाता रहा।
अरे यह क्या!
अचानक उसने
देखा कि वह ऊपर उठने लगा।
उसके लगातार
जोर से पैर चलाने से मलाई भी लगातार हिल रही थी और वह मक्खन बनने लगी। मेढक में
उम्मीद की लहर दौड गई। वह बहुत थक चुका था फिर भी पैर चलाता रहा। फिर क्या था!
मक्खन बनता गया और आखिर में उस मक्खन के ढेर पर सवार वह साहसी मेढक ऊपर उठने
लगा। जब मक्खन छाछ के ऊपर तैरने लगा तब उस साहसी मेढक ने बाल्टी से बाहर छलांग
लगा दी। अपनी हिम्मत लगन मेहनत और जीने की उमंग के कारण वह बच गया परन्तु
निराशावादी मेढक उसी मलाई की बाल्टी में डूब कर मर गया।
मुश्किलें सब
के रास्ते में आती हैं पर ईश्वर ने हमें उनका मुकाबला करने की शक्ति भी दी है।
इसलिये शक्ति से काम लेते हुए साहस बनाए रखना चाहिये। अंत में जीत उसी की होती
है जो कभी हार नहीं मानता।अधिक बुद्धि या बल ही केवल काम नहीं आते हैं। हिम्मत
वाले जीवन का संग्राम जीत जाते हैं।
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Source –
KalpatruExpress News Papper
|
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सोमवार, 26 मई 2014
हिम्मत से मिलती जीत
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