अक्सर आपने
बहुत से लोगों को यह कहते सुना होगा कि अमुक व्यक्ति की बेटी एक अच्छे पद
पर
कार्यरत है और वह अपने मां-बाप और बड़ों का बहुत सम्मान करती है।
मनोवैज्ञानिकों
का कहना है कि संतान का अच्छा या खराब होना इस बात पर निर्भर करता है कि
बतौर
माता-पिता आपने कैसी भूमिका निभाई। यदि आपने अपने बच्चे की परवरिश अच्छी तरह
से
की है तो उसे अच्छा बनना ही है।
इस तरह अच्छा
अभिभावक बनना भी एक चुनौती है, जिसे आपको स्वीकारना ही होगा।
प्रोत्साहित करें-
मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि बच्चों की
आलोचना करने से उनके दिलोदिमाग पर खराब असर
पड़ता है। जो माता िपता अपने बच्चों
की हरदम आलोचना करते हैं, उन्हें यह समझ
लेना चाहिए
कि उनके ऐसा करने से बच्चों की गलत आदतों में कोई सुधार होने वाला
नहीं है। यही नहीं, बच्चे
व्यर्थ
में दूसरों की आलोचना करने लगते हैं। इसलिए बात- बात पर आलोचना करने की बजाय
उसके द्वारा अच्छा काम करने पर उसे प्रोत्साहित करें।
ठीक नहीं है
मारपीट-
अक्सर ऐसा होता है कि बच्चे ने आपकी कोई बात
नहीं सुनी तो आप चीख-चिल्लाकर अपना
आक्रोश व्यक्त करने लगते हैं। अगर आपके मन
में यह धारणा व्याप्त है कि बच्चे को
मारने-पीटने से उसे नियंत्रण में रखा जा
सकता है तो अपने मन से यह धारणा निकाल दें।
मनोवैज्ञानिक
मानते हंै कि बच्चे को मारने-पीटने से उसका स्वभाव नहीं बदला जा सकता है।
उसके
स्वभाव में परिवर्तन के लिए जरूरी है कि उसे प्रेमपूर्वक समझया जाए। बच्चे को
प्रताड़ित
करने से फायदे की बजाय नुकसान ही होता है। बच्चे को दंडित करने से
उसके कोमल दिमाग में
यह बात घर कर जाती है कि मारपीट से ही किसी समस्या का
समाधान निकाला जा सकता है।
मारपीट से
उसके आत्मसम्मान को भी चोट पहुंचती है।
अपनी इच्छाएं
न थोपें-
समझदार माता-पिता कभी भी अपनी इच्छाओं को
बच्चे पर नहीं थोपते हैं। कहने का मतलब है
कि आप डॉक्टर या इंजीनियर बनना चाहते
थे, पर किन्हीं
कारणों से ऐसा संभव नहीं हो पाया।
अब आप यह सोच रहे हैं कि मैं नहीं बन सका तो
मेरी बेटी या बेटा ही बन जाए। चिकित्सकों के
अनुसार ऐसा सोचना गलत है। प्रत्येक
बच्चा अपने आप में असाधारण होता है। कोई गणित में
तेज है तो कोई खेलकूद में।
बच्चा जिस क्षेत्र में अपनी प्रतिभा दिखा रहा है, उसमें ही उसे
प्रोत्साहित करें। माता-पिता को यह बात याद रखनी चाहिए कि हर
बच्चे में अलग-अलग खूबियां
होती हैं। हमें इस बात को समझने का प्रयास करना चाहिए
कि बच्चे वास्तव में क्या बनना
चाहते हैं। हम उन्हें विभिन्न विकल्पों के बारे
में बता सकते हैं। यह बात उन पर निर्भर करती है
कि वे किस विकल्प का चयन करते
हैं। हां, अगर आपको
महसूस होता है कि बच्चा विकल्प का
चयन करने में गलती कर रहा है तो उसे समझना
आपका दायित्व है।
ऐसा करने पर
बच्चे और आपके मध्य एक स्वस्थ रिश्ता हमेशा बना रहेगा।
समय का विकल्प
नहीं-
आज के दौर में ज्यादातर माता-पिता कामकाजी
होने के कारण बच्चों को पर्याप्त समय नहीं दे
पाते हैं। उन्हें इस बात का अपराध
बोध होता है। ऐसे में ज्यादातर माता-पिता बच्चों को पर्याप्त
समय न देने की
भरपाई महंगे व मनपसंद गिफ्ट देकर करते हैं। ऐसा करने से बच्चों में अपनी
बात
मनवाने की आदत पड़ जाती है। वे जानते हैं कि माता िपता हर हाल में उनकी इच्छा की
पूर्ति करेंगे। मनोवैज्ञानिकों के अनुसार ऐसा करना ठीक नहीं है। समय की भरपाई का
कोई
विकल्प नहीं हो सकता है। आपको उसके लिए थोड़ा सा समय अवश्य निकालना चाहिए।
इससे
बच्चे के मन में यह संदेश जाता है कि व्यस्त होने के बावजूद आपको उसकी
कितनी फिक्र रहती
है।
सिखाएं
संस्कार-
अच्छे संस्कार बच्चों की जिंदगी में बहुत
महत्त्व रखते हैं।
उनको किसी बात
को सिखाने का सबसे बेहतर तरीका है खुद भी उस बात पर अमल करें और
उनके रोल मॉडल
बनें। इसके साथ ही बच्चों को प्लीज, थैंक यू और सॉरी जैसे शब्दों का प्रयोग
करने की भी आदत सिखाएं।
उदाहरण के लिए
जब किसी से कोई चीज मांगनी हो तो हल्की सी मुस्कुराहट के साथ, प्लीज के
साथ अपने शब्दों की शुरूआत करें।
इसी प्रकार यदि कोई गलती हो जाए तो सॉरी शब्द का
इस्तेमाल करें। इससे आपका बच्चा
धीरे- धीरे सामान्य शिष्टाचार को समझने लगेगा। इन बातों
को सीखने पर आगे चलकर
उसे अपनी राह बनाना आसान हो जाएगा।
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Source – KalpatruExpress News Papper
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रविवार, 22 जून 2014
जानिए कैसे बन सकते हैं अच्छे पेरेंट
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