मंगलवार, 30 जून 2015

ग्रीस(Greece) पर गहराया संकट......

ग्रीस ने पूंजी के प्रवाह पर आज रोक लगा दी और कम से कम छह जुलाई तक के लिए अपने बैंक बंद कर दिए हैं। ग्रीस सरकार ने ऐसा इसलिए किया कि वहां कर्ज देने वालों के साथ सरकार का कोई समझौता नहीं हो सका। अगर समझौता नहीं होता है तो उसे फौरी जरूरतें पूरी करने के लिए यूरोपीय केंद्रीय बैंक से कर्ज मिलना भी बंद हो सकता है और इस स्थिति में ग्रीस के बैंकों के लिए बड़ी मुश्किलें खड़ी हो जाएंगी।
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इस बीच ग्रीस के प्रधानमंत्री अलेक्सिस सिप्रस ने कर्ज देने वाले यूरोपीय देशों के राहत पैकेज के प्रस्ताव पर 5 जुलाई को जनमत संग्रह कराने का ऐलान किया है। इसका असर यूरोप के शेयर बाजारों पर पड़ा| बैंकों के शेयर बुरी तरह पिटने लगे। यूरो क्षेत्र के बैंकिंग सूचकांक में भी 5.5 फीसदी की गिरावट आ गई। भारतीय बाजारों पर भी ग्रीस की अनिश्चितता का असर पड़ा और बंबई स्टॉक एक्सचेंज का सेंसेक्स कारोबार की शुरुआत में 600 अंक से अधिक लुढ़क गया। लेकिन बाद में उसने वापसी की और कारोबार खत्म होने पर यह केवल 167 अंक की गिरावट पर बंद हुआ।


ग्रीस संकट का असर चीन के बाजारों में दिखा और 12 जून, 2015 तक एक साल में करीब 155 फीसदी चढऩे वाला शांघाई कंपोजिट सूचकांक पिछले 10 कारोबारी सत्रों में करीब 22 फीसदी तक टूट चुका है। बाजार में इस बात की अटकलें हैं कि चीन के बाजारों में अब तेजी का दौरा खत्म हो रहा और आर्थिक नरमी एवं शेयरों के उच्च मूल्यांकन की वजह से गिरावट का जोखिम बना हुआ है। ग्रीस ऋण संकट से जहां बाजारों में गिरावट देखी गई, वहीं कच्चे तेल की कीमतें भी 1 डॉलर प्रति बैरल घटकर 62 डॉलर प्रति बैरल पर आ गई। हालांकि सुरक्षित निवेश के लिहाज से निवेशकों ने सोने पर दांव लगाया, जिससे सोना 0.2 फीसदी चढ़कर 1,186 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार कर रहा था। 

व्यापर पर असर 
ग्रीस के डिफॉल्ट की आशंकाओं से लंदन में शुरुआती कारोबार में मूल धातुओं में मजबूती के साथ खुलने के बाद तेज गिरावट दर्ज की गई। जैसे: तांबा बढ़त के साथ बंद हुआ, लेकिन निकल जैसी अन्य धातुएं छह वर्षों के निचले स्तर पर आ गईं। लंदन में शुरुआती कारोबार में बिकवाली के कारण एलएमई जस्ता, एल्युमीनियम, सीसा और टिन में 1 फीसदी या इससे अधिक गिरावट आई। लेकिन एलएमई तांबे का प्रदर्शन रुझान के विपरीत रहा। 

ग्रीस के रविवार को ऋणदाताओं के साथ आपात बैठक से बाहर आने के कारण उसे मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) को 1.6 अरब यूरो का भुगतान करना होगा। मंगलवार को ग्रीस के वर्तमान बेलआउट समझौते की अवधि समाप्त होने जा रही है। ग्रीस सरकार ने उस पर लगाए गए नियमों एवं शर्तों पर 5 जुलाई को जनमत संग्रह कराया है। कॉमट्रेंड्ज रिसर्च के निदेशक ज्ञानशेखर त्यागराजन ने कहा, 'ग्रीक सरकार ने अपनी जनता के बीच जनमत संग्र्रह कराने की घोषणा की है, जिसमें यूरो जोन के ऋणदाताओं की शर्तों को नहीं स्वीकार करने की सिफारिश की गई है। 

कारण 
ग्रीस में कर्ज का संकट गहराने के साथ ही आज भारत और तमाम वैश्विक बाजारों में कंपकंपी दौड़ गई।ग्रीस में नई सरकार इस शर्त पर सत्ता में आई थी कि ग्रीस के निवासी ऋणदाताओं की शर्तों को स्वीकार नहीं करेंगे। अगर ग्रीस की जनता इन शर्तों को स्वीकार कर लेती है तो उन्हें कर और अन्य शुल्क चुकाने होंगे। हालांकि स्वतंत्र सर्वे में यह दिखाया गया है कि ग्रीस की 57 फीसदी जनता यूरो जोन के ऋणदाताओं की शर्तों को मानने के पक्ष में हैं। इस वजह से बैंकों के बंद होने और ग्रीस से धन बाहर जाने की आशंका से मूल धातुओं की कीमतें धराशायी हुई हैं।' 

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